निर्भया तुम खुश रहना
आसमाँ की बाहों में
प्यार की गलियों मे घूमना बेखौफ
बचपन बिताना मुस्कुराती राहों मे

खिलखिलाना पूर्व वाला तारा बन
रहना अंबर की छाँव मे
नहीं वहाँ भेडिया कोई
न कोई दरिंदा
न काँटा कोई जो चुभे तेरे पाँवों मे
चाँदनीं मे झूलना तुम
स्वाति से मोती चुनना
नहीं आना यहाँ
यहाँ न कोई इन्साँ
बिकते हैं जज्बात
कत्ल होतीं बेटी हर गाँव मे
रहना आकाशगंगा के किनारे
बहना बन रागिनी
लौटना ना फिर से
सिकती है रोटियाँ चिताओं में
निर्भया तुम खुश रहना
आसमाँ की बाहों मे
'एकला'
आसमाँ की बाहों में
प्यार की गलियों मे घूमना बेखौफ
बचपन बिताना मुस्कुराती राहों मे

खिलखिलाना पूर्व वाला तारा बन
रहना अंबर की छाँव मे
नहीं वहाँ भेडिया कोई
न कोई दरिंदा
न काँटा कोई जो चुभे तेरे पाँवों मे
चाँदनीं मे झूलना तुम
स्वाति से मोती चुनना
नहीं आना यहाँ
यहाँ न कोई इन्साँ
बिकते हैं जज्बात
कत्ल होतीं बेटी हर गाँव मे
रहना आकाशगंगा के किनारे
बहना बन रागिनी
लौटना ना फिर से
सिकती है रोटियाँ चिताओं में
निर्भया तुम खुश रहना
आसमाँ की बाहों मे
'एकला'
मार्मिक,भावनात्मक एवं संदेशात्मक रचना।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति।
कहा है वो स्वाधीनता,जो दिखाई नहीं देती कहीं।दिखती है तो बस किसी ना किसी गली में एक मासूम-सी निर्भया।
मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteMarmsparshi...such me darinde hain dharti par....
ReplyDeleteभावपूर्ण..
ReplyDeleteनिर्भया तुम खुश रहना
ReplyDeleteआसमाँ की बाहों में
प्यार की गलियों मे घूमना बेखौफ
सामयिक प्रस्तुति।
रूह सिहर उठती है जब-जब उस दिन का ज़िक्र होता है.
ReplyDeleteबहुत मार्मिक ... भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteपुनः उस प्रसंग को याद कर गहरी बात कही है। यही सच्ची श्रद्धांजलि है।
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