मेरे गमों की चादर पर अक्सर मेरी माँ
अपने आंसुओं से रफ़ू कर देती है
जब सोता हूँ उसकी गोद में
सर रख
वो आज भी बालों में अंगुलियां रख
हँस देती है।
एकला।
अपने आंसुओं से रफ़ू कर देती है
जब सोता हूँ उसकी गोद में
सर रख
वो आज भी बालों में अंगुलियां रख
हँस देती है।
एकला।